फ़ैल वो हैं जिससे किसी शै का करना या होना मालूम हो, जैसे - तमाशा शुरू हुआ , इस ने ख़त लिखा वगेरह।
तमाम अल्फाज मसदर से निकलते हैं और इसके आखिर मे “ना” आता हैं। जैसे – खाना, जाना, सोना वगेरह।
मसदर का “ना” हटाने पर जो बचता हैं वो “मादाह” (مادہ) कहलाता हैं। जैसे- जा, खा वगेरह।
* लवाजिमे अफआल में शामिल है –
1. तोर 2. सूरत 3. जमाना
2. सूरत : फ़ैल की 5 सूरतें है - 1.
खबरिया 2. शर्तिया 3. अहतमाली (शक) 4. 5.
तोरे मअरूफ / फ़ैले मअरूफ (معروف)
:- (फाअल + फ़ैल)
वो फ़ैल जिसमे फाअल यानी काम करने वाला मालूम हो। जैसे – राशिद आया, हामिद पढता हैं, खालिद लिखता हैं वगेरह।
तोरे मज्हुल / फ़ैले मज्हुल (مجہول)
:- (मफऊल + फ़ैल)
फ़ैले मज्हुल इस फ़ैल को कहते हैं, जिस का फाअल यानी काम करने वाला मालूम ना हो।
फ़ैले मज्हुल का मफऊल “काइम मकाम फाअल” कहलाता है। जैसे – कपडे धुल गये , आटा पिसा, दरवाजा खुला, मकान बन गया वगेरह।
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* फाअल :- जिस के जरिये से कोई काम हो या किसी भी फ़ैल को करने वाला फाअल कहलाता हैं। (हिंदी व्याकरण में ‘कर्ता’)
(फाअल अगर वाहिद हो तो फ़ैल भी वाहिद, अगर फाअल जमा हो तो फ़ैल भी जमा होगा)
* मफऊल :- जिस पर या जिस के साथ काम का होना मालुम हो / जिस पर काम का असर जाहिर हो / जिस
चीज
पर
काम
वाकए
होना
जाहिर
हो, मफऊल कहलाता हैं। (हिंदी व्याकरण में ‘कर्म’)
जैसे – रईसा ने खाना पकाया, नवाज क्रिकेट खेल रहा हैं।
अक्साम फ़ैल (मायने के लिहाज से फ़ैल की किस्मे)
फ़ैल की तीन किस्मे है -
(1) फ़ैल लाजिम (2) फ़ैल मतअदी (3) फ़ैल नाकिस
(1)
फ़ैल लाजिम :- (फाअल + फ़ैल)
जिस में फ़ैल का असर सिर्फ फाअल (काम करने वाले) तक रहे, यानी वो फ़ाअल के साथ मिल कर पूरा होता हैं।
जैसे – साजिद आया, राशिद जाएगा। (इसमें ‘ने’ नहीं आता)
* जिस
जुमले में
फ़ैल
और फाअल
से बात
मुकम्मल
हो जाती
है, कौनसा
फ़ैल कहलाता
है – फ़ैल
लाजिम (फ़ैल+फाअल)।
(2)
फ़ैल मतअदी :- (फाअल + मफऊल + फ़ैल)
वो है जिसमे फ़ैल का असर फ़ाअल से गुजर कर मफऊल तक पहुँचे।
जैसे – अहमद ने खत लिखा, राशिद ने दरवाजा खोला, माजिद किताब पढता हैं। (इसके साथ ‘ने’ आता हैं)
(3)
फ़ैल नाकिस :-
वो हैं जिस में किसी फ़ैल का करना नहीं बल्कि होना पाया जाए, यानी के फ़ैल (क्रिया) किसी पर असर ना डाले बल्कि असर को साबित करे या जिसमे फ़ैल करना नहीं बल्कि होना पाया जाये या वो फ़ैल जो किसी पर असर-अंदाज ना हो और जो किसी असर को साबित करे वो फ़ैल नाकिस कहलाता है।
जैसे – अहमद बीमार हैं, सादाब तंदरुस्त हैं।
* फ़ैल नाकिस का कोई फाअल नहीं हैं, बल्कि इस का इस्म (संज्ञा) फाअल के बजाए “मुब्तदा” कहलाता हैं और जुमले का बाकिया हिस्सा जो हालत या किसी तरह की खबर देता हैं “खबर” कहलाता हैं। जैसे -
हामिद बीमार था ।
मुब्तदा - हामिद
खबर - बीमार
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